प्रधानमंत्री कार्यालय की उस चिट्ठी पर एक नई बहस चल पड़ी है. जिसमें कहा गया है कि सिविल सर्विसेज का काडर यूपीएससी की परीक्षा के आधार पर नहीं बल्कि फाउंडेशन कोर्स के नंबर के आधार पर तय हो. कई वरिष्ठ नौकरशाहों ने इस फ़ैसले का स्वागत किया है. लेकिन कई आशंकाओं ने भी जन्म ले लिया है. इस मुद्दे पर IAS के एक थिंकटैंक दिल्ली एडमिस्ट्रेटिव ऑफ़िसर्स एकेडमिक फ़ोरम का कहना है कि ये क़दम बहुत छोटा है. नौकरशाही की असली समस्या भ्रष्टाचार और राजनीतिक महत्वाकांक्षा है... इसे दूर करने के लिए व्यापक क़दम उठाने की ज़रूरत है.. हमारे सहयोगी रवीश रंजन शुक्ला ने फ़ोरम के मानद अध्यक्ष, के महेश से बातचीत की.
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